मधुर मधुर प्रवहमान पवन,
सुन्दर निर्मल नीलाभ गगन,
झूला झूल रही मधुशाल बनी,
एकांग वसन मदमाती कली,
लट केश खुले पतवार बने,
कामुकता का नित बयार बहे,
कजरारे नैन नित छायी नशा,
तन्वी काया कटि बनी लता,
मुस्कान सजी बिम्बाधर में,
रसखान मुदित दिल साजन में,
मुकलित सरोज तनु चन्द्रमुखी,
लाली कपोल काश्मीर कली,
केशर पराग मकरन्द सुभग,
पीन पयोधर रसभार शिखर,
आनंदित मन कचनार कली,
निशिचन्द्र कुमुद गुलज़ार लरी,
अनछूए कुसुम पाटल काया,
अभिसार मुदित पादप छाया ,
उन्नत नितम्ब द्वय मचकाती,
झूला झूले साजन मन तरसाती,
आनंद मग्न अरुणाचल सी,
रतिराग प्रिये इठलाती सी,
स्वप्नों की दुनिया खोयी सनम,
अहसास कशिश दिलदार बलम,
घनघोर घटा घनश्याम गगन,
आलिंगन प्रिय निशि रात मिलन,
मृगनैन चारु सुन्दर पलकें,
उल्लास सुरभि चितवन महकें,
विशाल भाल मनोहर अम्बर सम,
डोला बैठी छत मेघडम्बर,
वन पादप पर्वत निर्झर नदियाँ
लखि पशु विहंग प्रमुदित रम्या,
काश्मीर कली विधिलेख परी,
उत्तेज वदन अभिलाष भरी ,
आया सावन मनभावन बन,
पुरबैया बसात सद्भावन सम,
उन्मुक्त प्रिया बस झूल रही,
बस प्रीत मिलन शृङ्गार सजी,
लखि काम्या पुलकित निकुंज,
पुष्पित सुरभित वनराज मुदित,
मदन बाण घायल चितवन,
अनुराग प्रिया अलिगूँज भ्रमण,
सावन फूहार पावस रमणी,
डोला भोला थिरकन धमनी,
प्रकृति खुशी श्यामल वसुधा ,
देखी पगली रजनीगन्धा,
बरसी वर्षा चमकी बिजली,
निश्छल साजन बन फूलझड़ी।
स्वागत नव पावस मधु श्रावण,
नवनीत हृदय नवप्रीत सृजन।
डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" - नई दिल्ली