मैं कोई भगवान लगता हूँ - कविता - रवि कुमार रंजन

मत पूछ मेरी पहचान, 
मैं तो एक  इंसान लगता हूं, 
क्या करोगे  तुम जानकर 
मैं कोई भगवान  लगता हूं। 

भगवान ने तो मुझे बनाया, 
मैं तो एक आम इंसान लगता हूं, 
क्या करोगे  तुम जानकर, 
मैं कोई भगवान  लगता हूं। 

गरीबी में पला नादान  लगता हूं,
भगवान का दिया एहसान लगता हूं, 
क्या करोगे तुम जानकर, 
मैं कोई भगवान लगता हूँ।

आँखों में रहता है आंसू, 
होठों पे मुस्कान रखता हूं, 
क्या करोगे तुम जानकर
मैं कोई भगवान लगता हूं। 

गमों में डूबा रहता हूं, 
मरहम की तलाश करता हूं, 
क्या करोगे तुम जानकर, 
मैं कोई भगवान लगता हूं।। 

रवि कुमार रंजन - बेलसंड, सीतामढ़ी (बिहार)

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