चाय की आत्मीयता - कविता - मधुस्मिता सेनापति

चाय तू भी कमाल कर जाती है
थकावट के लिए तू दवा बनती है
मन की पीड़ा को यूं ही मिटाती है
चाय तू भी कमाल कर जाती है.......!!

चाय तू भी कमाल कर जाती है
क्लांत व्यक्तियों के मन में
नई उमंग जगाती है
चाय तू कमाल कर जाती है .........!!

चाय तू भी कमाल कर जाती है
गजब का है तेरे स्वाद
जो सबके मन को मोह लेती है
चाय तू भी कमाल कर जाती है.......!!

चाय तू भी कमाल कर जाती है
घर में हो कोई या बाहर
दिल तो लगी रहती है तेरे ही साथ
चाय तू भी कमाल कर जाती है.......!!

चाय तू भी कमाल कर जाती है
बारिश का मौसम जब आने लगती है
तब सब के दिलों में बस तेरे ही नाम रहती है
चाय तू भी कमाल कर जाती हैं........!!

चाय तू भी कमाल कर जाती हैं
सर्दियों के दिन तू सब को रिझाती है
दिमाग में नहीं दिलों में बस जाती है
चाय तू भी कमाल कर जाती हैं.........!!

मधुस्मिता सेनापति - भुवनेश्वर (ओडिशा)

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