कमियाँ - कविता - चन्दन कुमार अभी

कितनी कमियाँ निकालोगे मुझमें ,
मैं भी तो एक इंसान हूँ।
करके यकीन आजमा के देख लो ,
मैं तेरे लिए ही कुर्बान हूँ।
कितनी कमियाँ निकलोगे मुझमें , 
मैं भी तो एक इंसान हूँ।

क्यों करते हो तुम मुझसे नफरत ,
क्या ऐसी ही है ये तुम्हारी फिदरत।
अपनो की महफिल में रहता हूँ ,
अपनो की पहचान हूँ।
कितनी कमियाँ निकालोगे मुझमें ,
मैं भी तो एक इंसान हूँ।

ऐसी क्या शिकायत है मुझसे,
ये क्यों नहीं तुम बताते हो , 
इतनी नजदीकी होकर भी
क्यों दूर नजर तुम आते हो। 
हो सकती है कुछ गलती मुझसे,
मैं नही कोई भगवान हूँ।
कितनी कमियाँ निकालोगे मुझमें ,
मैं भी तो एक इंसान हूँ ।


चन्दन कुमार अभी - दयानगर, बेलसंड, सीतामढ़ी (बिहार)

Instagram पर जुड़ें



साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos