मैं भी तो एक इंसान हूँ।
करके यकीन आजमा के देख लो ,
मैं तेरे लिए ही कुर्बान हूँ।
कितनी कमियाँ निकलोगे मुझमें ,
मैं भी तो एक इंसान हूँ।
क्यों करते हो तुम मुझसे नफरत ,
क्या ऐसी ही है ये तुम्हारी फिदरत।
अपनो की महफिल में रहता हूँ ,
अपनो की पहचान हूँ।
कितनी कमियाँ निकालोगे मुझमें ,
मैं भी तो एक इंसान हूँ।
ऐसी क्या शिकायत है मुझसे,
ये क्यों नहीं तुम बताते हो ,
इतनी नजदीकी होकर भी
क्यों दूर नजर तुम आते हो।
हो सकती है कुछ गलती मुझसे,
मैं नही कोई भगवान हूँ।
कितनी कमियाँ निकालोगे मुझमें ,
मैं भी तो एक इंसान हूँ ।
चन्दन कुमार अभी - दयानगर, बेलसंड, सीतामढ़ी (बिहार)