चलो रचाएँ रास हम - दोहा - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"

लाल अधर सरसिज वदन, मृगनयनी गज चाल। 
पीन   पयोधर  शिखर  सम, तन्वी  नैन  विशाल।।१।।

लाल   यशोदा   भाल पर , मोर मुकुट अभिराम।
देख    राधिका  कामिनी , पा   दर्शन  सुखधाम।।२।।

मनमोहन   लखि   राधिका , मन्द मन्द मुस्कान।
चलो   रचाएँ   रास   हम , छेड़ें   मुरली     तान।।३।।

नंदलाल    मुख   चन्द्रिका , मग्न  राधिका  नैन।
कामदेव   सम   चारुतम , हर   राधे   की   चैन।।४।।

नयन   नीर   भर  प्रेम से , माधव  मन अनुराग।
तनिक  लजायी राधिका , आनंदित    दिलबाग।।५।।

गायें    ले  कान्हाँ   चले , मिले   साथ   गोपाल। 
माखन  मुरली   हाथ  में , केशव     नटवरलाल।।६।।

लाल    चुनरियाँ  ओढ़कर , लायी लाल गुलाल।  
छिपी   लगायी  कृष्ण को , अचरज  में गोपाल।।७।।

लाल   गाल  गुलाल  से , माधव मुख अभिराम।
राधा  संग  सब गोपियाँ , कृष्ण मना  सुखधाम।।८।।

मुरलीधर   घनश्याम   मन , गोरी  राधा   खोय।
वामांगी   गोविन्द  की , हर्षित   सुख मन  होय।।९।।

यमुना   तट  नित चारुतम, कृष्ण राधिका संग। 
मिली   साथ  सब गोपियाँ , रास  रचा   नवरंग।।१०।।

सुन    मुरली    संगीत  को , दौड़ी  आयी  गाय।।
सुनी लजायी कोकिला, मृग द्विजगण सुख पाय।।११।।

यादवेन्द्र    प्रिय    राधिका , प्रेम रास  अविराम। 
मधु निकुंज दर्शन सुलभ , सफल जन्म भू धाम।।१२।।

डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" - नई दिल्ली

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