अपनी अनुभूति - कविता - मधुस्मिता सेनापति

बदहवास है  हवा की झोंके
यह जिंदगी के उलझे हुए नशा
यह संसार के अभावनिय स्थिति
और मनुष्य के मन में भरी हुई अनगिनत चाहत........!!

यह प्रकृति की साजिश
तो कहीं हर चीज को प्राप्त करने की कोशिश
और कहीं इंसानो के ख्वाहिश
हर पल कुछ  नया सोचने को मजबूर कर जाती हैं........!!

कहीं जीवन एक किनारा प्राप्त कर ले
कहीं जीवन अपना वजूद तय कर ले
कहीं मनुष्य अपनी चाहत को प्राप्त कर ले
ऐसे सैकड़ों कारवां मन में भरी पड़ी है..........!!

मधुस्मिता सेनापति - भुवनेश्वर (ओडिशा)

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