जो अब भी मेरा साथी है।
जो मुख पे मेरे रहता है।
अब भी तो मुझसे कहता है।
मैं तेरी वो कहानी हूँ।
मैं तेरी प्यारी रानी हूँ।
वो राहें जब तू आयेगा।
सँग अपने लेकर जायेगा।
ये देखे तू भी आकर।
क्यूँ खोया ,तुझको पाकर ।
मैं तुझसे दूर टिकी हूँ ।
दुनिया मे अभी रुकी हूँ ।
सुषमा दीक्षित शुक्ला - राजाजीपुरम , लखनऊ (उ०प्र०)