सकारात्मक सोच ही हमारी ताकत हैं - लेख - शेखर कुमार रंजन

मैं मृत्यु के बाद भी याद रखा जाना चाहता हूँ, तुरंत गुमनाम नहीं होना चाहता। मुझे यह कभी अच्छा नहीं लगेगा कि मेरे जाने से किसी को कोई फर्क ही नहीं पड़े। मैं चाहता हूँ कि मेरे जाने के बाद दुनिया मुझे लंबे समय तक याद करें और मेरी कमी महसूस करें। मै चाहता हूँ दोस्त लोग तो याद करे ही किन्तु जो मुझे दुश्मन मानता है वो भी आसानी से भूल ना सकें। हमें हर पल बस स्वयं के बारे में ही नहीं सोचते रहना चाहिए बल्कि हमें अपने तहे दिल से कुछ पल दूसरों के लिए भी जीना चाहिए। हमें समाजसेवा के लिए प्रथम कदम सबसे पहले उठाने की आवश्यकता होनी चाहिए। कुछ ऐसा करना चाहिए जो मील का पत्थर साबित हो जाये। हमें आम इंसानों की भाँति भीड़ लगाकर नहीं जीना चाहिए क्योंकि भीड़ हमारी पहचान को छीन लेता हैं।इसलिए खुद से वादा कीजिए कि मैं भीड़ की तरह नहीं मरूँगा, खास की तरह जीकर खास की तरह विदा लेना चाहूँगा और खास की तरह मृत्यु के बाद भी याद रखा जाना चाहूँगा।
पर इस प्रकार के जीवन यापन करने के लिए हमें अतीत की गलतियों से सीखने की जरूरत है साथ ही हमें अतीत में झाँककर देखने की आवश्यकता है कि हम किस प्रकार अपने आलोचनाओं से हतोत्साहित हो जाते थे किन्तु आत्म मंथन करने के बाद जल्द ही अपने आप को संतुलित कर लेते थे। यदि आज हम जहां पर भी हैं उसमें सबसे बड़ा योगदान आत्मविश्वास का ही रहा है। अक्सर हमारे परिचय के दायरे में ऐसे लोग होते ही है जो नई योजना को विध्वंस करने में माहिर होतें हैं। ऐसे लोग जब बोलना आरंभ करते हैं तो सिर्फ मुश्किलें और नाकामिओं की बात ही बोलते रहेंगे।ऐसे लोग आपके घर में भी हो सकते हैं और बाहर भी। ऐसे लोगों के साथ संबंध तो रखिये किन्तु इनके साथ ज्यादा वक्त मत बिताइए। नहीं तो इनकी संगति आपके सपनों को असमय ही खत्म कर देगी। हमें आज भी परिवर्तन की आवश्यकता है दूसरों को बदलने की बजाय हमलोग अपनी जिम्मेदारी ले ले तो क्या? नहीं हो सकता। सही इंसान में हर परिवर्तन की शुरुआत खुद से ही होती हैं।स्वयं की सम्पूर्ण जिम्मेदारी ही भले इंसान का आधार होता है। जब आप अपनी जिंदगी की किसी भी पहलू पर पूरे समर्पण से अपनी पूरी ताकत झोंककर उतनी कोशिश कर लेते हैं कि जितनी आपके भीतर क्षमता है तो आपको असफलता हाथ नहीं लगा सकता हैं।

आज यह बात साफ कर दूं कि जिन्दा होने में और जिंदगी जीने में बहुत फर्क है। हमें उपयोगी बनना चाहिए किन्तु दूसरों को अपना उपयोग नहीं करने देना चाहिए। हमें सदैव अच्छा सोचना चाहिए क्योंकि सकारात्मक सोच के संदर्भ में बहुत बड़े बड़े हस्तियों ने अपने बातों को रखा है। जैसे व्यक्ति अपने विचारों का परिणाम होता है जो वह सोचता है वहीं बन जाता हैं इसलिए यह बेहद जरूरी है कि आप अच्छा सोचे क्योंकि जब आप अच्छा सोचते है तो वह तरंगे ब्रह्मांड में फैलती है और इच्छित चीजों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं। इसलिए हमें अपनी सोच को सकारात्मक रखनी चाहिए। सिर्फ सोच ही इतनी शक्तिशाली होती हैं जो सही और गलत की पहचाना कर सकती हैं। सोच ही व्यक्ति को ऊपर उठा सकती हैं और सोच ही व्यक्ति को नीचे गिरा सकती हैं। विचारों में बहुत ही शक्तियाँ होती हैं इसलिए हमें कुछ भी करने से पहले विचार करना चाहिए कि यह सोच मुझे संवारेगा या बिगाड़ेगा।


शेखर कुमार रंजन - बेलसंड, सीतामढ़ी (बिहार)

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