सुकरात पर आरोप - कहानी - पम्मी कुमारी

बहुमत एक भीड़ का नाम है जिसके पास विवेक नहीं होता और वह मनमाने ढंग से काम करती है और मुझे भीड़ की परवाह नहीं है।
सुकरात ने यह जवाब क्रीटो को उस समय दिया जब क्रीटो सुकरात की तरफ़ विष का प्याला बढ़ा रहा था और सुकरात से बहुमत का सम्मान करने की गुज़ारिश कर रहा था।
सुकरात को बहुमत से मृत्युदंड दिया गया था , अदालत की ज़ूरी ने 221 के विरुद्ध 280 के बहुमत से सुकरात को मृत्यु का फ़ैसला सुनाया था।
सुकरात पर मुख्यरूप से तीन आरोप थे। पहला तो यह कि वह नास्तिक है, दूसरा आरोप यह कि सुकरात राष्ट्रीय देवी- देवताओं-प्रतीकों का अपमान करता है इसलिये देशद्रोही है, और तीसरा यह कि सुकरात अपने विचारों से यूनान की युवा-पीढ़ी को भ्रष्ट कर रहा है।

सुकरात एक ग़रीब मूर्तिकार का बेटा था जो एथेंस की सड़कों पर घूमता रहता था और लोगों को अपने विद्रोही दार्शनिक विचारों से अवगत कराता रहता था, लोग उसकी बातों के दीवाने थे, सुकरात यूनान और पश्चिम का प्रथम दार्शनिक था, प्लेटो उसका प्रिय शिष्य था जिसका प्रिय शिष्य अरस्तू था।
जब सुकरात के शिष्यों और प्रशंसकों ने मृत्युदण्ड से बचने के लिये चुपचाप एथेंस छोड़ने की सलाह दी तो सुकरात ने कहा, मैं मृत्यु से नहीं डरता, मृत्यु एक मानवीय वरदान है, मैं एथेंस में ही यूनान के एक सच्चे नागरिक की तरह रहूँगा और विष का प्याला पिऊँगा।
यह कहकर सुकरात ने  हेम्लॉक नामक विष का मिश्रण पीकर प्राण त्याग दिये, जिसे उसके विरोधी देशद्रोही कह रहे थे वह यूनान का सच्चा सपूत निकला।
जिस रात को सुकरात को ज़हर पिलाया गया, उसी रात को एथेंस के नौजवान हुजूम बनाकर बाहर निकले, और क्रांति का बिगुल फूंक दिया।
उसके बाद एथेंस गणराज्य में सबको बराबर की हिस्सेदारी दी जाने लगी। 

पम्मी कुमारी - रून्नीसैदपुर, सीतामढी (बिहार)

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