मितभाषी बने - लेख - शेखर कुमार रंजन

किसी ने सच ही कहा है कि संगति हमेशा अच्छे लोगों के साथ होनी चाहिए क्योंकि बुरे लोगों के संगत का असर भी बुरा ही होते हैं। अच्छे संगत से ही आपमें अच्छाई विधमान हो जातें हैं। यह बात बिल्कुल सही है कि आप जैसा मंजिल का चयन करेंगे आपको वैसे ही साहित्य को पढ़ना चाहिए क्योंकि अच्छे साहित्य पढ़ने से आपके विचारों में श्रेष्ठता आयेगी और आप वैसा ही जीवन का अनुभव पहले से ही करोगे जिससे कि आपका मंजिल करीब होता दिखेगा।
सकारात्मक सोच और ईमानदारी पूर्वक मेहनत से आप अपने मंजिल को पाओगे। परिवर्तन ही जीवन है किन्तु बुराई से अच्छाई की ओर क्योंकि बिना परिवर्तन के आप तरक्की नहीं कर पाएंगे। अपनी तहे दिल से मैं आग्रह करता हूँ कि मेरे द्वारा लिखी पंक्तियों को समझे और इसे अपने जीवन में उतारे। यदि आप पहले से ही योग्य है, तो इससे आपकी योग्यता व प्रभावकारी में वृद्धि होगी। यदि मेरी ये बातें आपको अच्छी लगे तो अपने परिवार के अन्य सदस्यों को भी पढ़ने के लिए प्रेरित करें। क्योंकि आपलोगों का विकास ही मेरा मेन उद्देश्य है।

मैने कुछ बच्चों को पढ़ने के लिए प्रेरित किया तो उसने अपनी तकलीफ बताते हुए कहा कि सर वक्त नहीं मिलता हैं कि ज्यादा पढ़ सकूँ। मैं ऐसे ही बच्चों से कहना चाहूंगा जो बहानेबाज हो, आप ही बताओं जब दिन के चौबीस घंटों के उपयोग से सचिन तेंदुलकर, अब्दुल कलाम, अमिताभ बच्चन, अम्बानी आदि इतनी असाधारण ऊँचाई हासिल कर सकते हैं, तो मेरे और आप जैसे लोगों को समय की कमी की बात कहने का बिल्कुल भी हक़ नहीं हैं।इंसान जो चाहे हासिल कर सकता हैं बसर्ते उस अनुपात में मेहनत करें तब। खुश रहकर ही हम अपने आप को स्वस्थ रख सकते हैं। हम खुश रहें तथा दूसरों को भी खुश रखें यह हमारी मूल सोच होनी चाहिए।जब आपसे कोई हाल चाल पूछे तो दुनिया के सबसे खुश और जिंदादिल इंसान की तरह जबाब दीजिये की बहुत ही बढ़िया हूँ। उदासी, हताशा, हीनता और शंका जैसे शब्दों को हटाकर जोश, जीत, खुशी और विश्वास भरें शब्दों का प्रयोग कीजिये। जब भी मुँह खोले अच्छा ही कुछ बोले ऐसे सिद्धान्तों को अपनाइए। आपसे मिलकर दूसरों के जीवन में भी जोश पैदा हो जाए। आज से ऐसी भाषा का प्रयोग कीजिये जो दूसरों को खुशी दे। आप अच्छे अच्छे लोगों से बातें करें। वैसे तो दुनिया में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण खुद से बातें करना होता है। हमें बिना माँगे किसी को सलाह नहीं देना चाहिए। जब तक अत्यंत आवश्यक नहीं हो आपको उसे वाकचातुर्य से नहीं हराना चाहिए। कम बोलना अधिक बोलने से अधिक शक्तिशाली होता है। ज़्यादा बोलने से आपका महत्व कम होने की संभावना होती हैं। जब आप किसी चर्चा में मौन ओढ़े रहते हैं तो सामने वाला दो बातें सोच सकते हैं। प्रथम आप बहुत ज्ञानी हैं तथा द्वितीय आपको ज्ञान नहीं है लेकिन दोनों ही बारे में वह सुनिश्चित नही होता है। इसलिए बात पर पूरा ज्ञान ना हो, तो मौन रहने में ही भलाई है। बोलने का सदैव कोई मकसद होना चाहिए और उसमें से अधिकांश सकारात्मक होनी चाहिए। सही व्यक्ति ना नकारात्मक बाँटता हैं और ना ही नकारात्मक स्वीकार करता है। जो किसी का नहीं सुनता केवल बोलता है वो कभी ज्ञान हासिल नहीं कर सकता है क्योंकि ज्ञान सिर्फ स्रोता बनकर ही हासिल किया जा सकता है।

जिंदगी में लक्ष्यों को सही समय पर पाने के लिए सही समय पर सही डिसीज़न लेने आना चाहिए। हर मौके पर बिना मतलब का बोलना छोड़ दीजिए वरना लोगों के लिए आपके शब्दों का महत्व खत्म हो जाएगा। यदि आप सच में जीवन में कुछ अच्छा करना चाहते है तो मितभाषी बने क्योंकि आपको पता भी होगा कि सबसे ज्यादा ऊर्जा बोलने में ही खत्म हो जाता है और साथ में ज्यादा बोलने से आयु भी कम होती हैं। इसलिए मितभाषी बने दीर्घायु प्राप्त करें।

शेखर कुमार रंजन - बेलसंड, सीतामढ़ी (बिहार)

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