कृपा सदा माँ भारती - दोहा - डॉ. राम कुमार झा ''निकुंज"

स्नेह  सहज  शीतल विमल, पावन नित सम्मान।
सारस्वत    आशीष    हो , दुर्लभ  नित   वरदान।। 
कृपा  सदा  माँ  भारती , अरुणिम खिले निकुंज।
शान्ति सुखद उत्थान हो , माँ  भारत  जय   गूंज।। 
अभिनंदन नित आपका ,स्वागत  नित  अभिराम।
नव प्रभात  की अरुणिमा , काव्य पाठ सुखधाम।।
राष्ट्रप्रगति  अपनी  प्रगति , बोधन  हो     जनतंत्र।
दर्पण    बन   साहित्य   ही ,  दे   अभ्यूदय   मंत्र।। 
एक   राष्ट्र    भारत    सदा , युगधारा नित   प्रीत।
धर्म जाति   सब   भूलकर , गाएँ   भारत    गीत।।
आएँ  मिलकर  साथ   में , करें    राष्ट्र    निर्माण।
शान्ति प्रगति सुख सम्पदा , हो सबका कल्याण।।
कवि  निकुंज   रचनावली , गाए    भारत   गान।
बलिवेदी     माँ    भारती ,  जन्मों  दे   बलिदान।।
     
डॉ. राम कुमार झा ''निकुंज" - नई दिल्ली

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