सारस्वत आशीष हो , दुर्लभ नित वरदान।।
कृपा सदा माँ भारती , अरुणिम खिले निकुंज।
शान्ति सुखद उत्थान हो , माँ भारत जय गूंज।।
अभिनंदन नित आपका ,स्वागत नित अभिराम।
नव प्रभात की अरुणिमा , काव्य पाठ सुखधाम।।
राष्ट्रप्रगति अपनी प्रगति , बोधन हो जनतंत्र।
दर्पण बन साहित्य ही , दे अभ्यूदय मंत्र।।
एक राष्ट्र भारत सदा , युगधारा नित प्रीत।
धर्म जाति सब भूलकर , गाएँ भारत गीत।।
आएँ मिलकर साथ में , करें राष्ट्र निर्माण।
शान्ति प्रगति सुख सम्पदा , हो सबका कल्याण।।
कवि निकुंज रचनावली , गाए भारत गान।
बलिवेदी माँ भारती , जन्मों दे बलिदान।।
डॉ. राम कुमार झा ''निकुंज" - नई दिल्ली