करता तु मनमानी है ।
ईंट का जवाब पत्थर से देंगे,
गुस्से में हर हिंदुस्तानी है ।
छुरा पीठ में घोंपा तुमने ,
सबकी आंख में पानी है ।
बासठ वाले समझ के हमको ,
अब करता तु नादानी है ।
बांध सब्र का अब तो टूटा ,
तुझे नानी याद दिलानी है ।
अब तो तेरी खैर नहीं है ,
मुँह की तुझे खिलानी है ।
सबका खून है खोल रहा ,
करता ज्यादा तु शैतानी है ।
व्यर्थ नहीं ये बलिदान जायेगा ,
"पंवार" सभी ने मन में ठानी है ।।
समुन्द्र सिंह पंवार - रोहतक (हरियाणा)