गुस्से में हर हिंदुस्तानी है - कविता - समुन्द्र सिंह पंवार

चाईना आंख दिखाकर हमको ,
करता तु मनमानी है ।
ईंट का जवाब पत्थर से देंगे,
गुस्से में हर हिंदुस्तानी है ।

छुरा पीठ में घोंपा तुमने ,
सबकी आंख में पानी है ।
बासठ वाले समझ के हमको ,
अब करता तु नादानी है ।

बांध सब्र का अब तो टूटा ,
तुझे नानी याद दिलानी है ।
अब तो तेरी खैर नहीं है ,
मुँह की तुझे खिलानी है ।

सबका खून है खोल रहा ,
करता ज्यादा तु शैतानी है ।
व्यर्थ नहीं ये बलिदान जायेगा ,
"पंवार" सभी ने मन में ठानी है ।।

समुन्द्र सिंह पंवार - रोहतक (हरियाणा)

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