सूर्यग्रहण - दोहा - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज''

आज   निशाकर  है मुदित , ग्रहण कर रहा सूर्य ।
सदी   का    सबसे  बड़ा , सूर्य   ग्रहण    सम्पूर्य।।१।।

रहें    गेह   दर्शन  ग्रहण , अनुपम   कुदरत मेल ।
आँखमिचौनी   भानु  शशि , धरा  देखती.   खेल।।२।। 

आज   व्योम  छायी घटा , बाधक  बन   नीलाभ।
खेल   रही   है  चन्द्र  से , करो   ग्रहण अनुणाभ।।३।।

विज्ञान  धर्म  के  बीच  में , चला  पुनः  शास्त्रार्थ।
लाभ   हानि  चर्चा   ग्रहण , मंगल  हो  लोकार्थ।।४।।

छह  घण्टे  का  ग्रहण यह , करो सूर्य का ध्यान।
कोरोना  और  चीन   का, पाक सहित अवसान।।५।।

सदियों  में  संयोग   यह , सूर्य ग्रहण    रविवार।
सत्यं  शिव  नित सुन्दरम् , हो  दुनिया उजियार।।६।।

योग ग्रहण अनुपम मिलन, हो जग का कल्याण।
कवि  निकुंज की कामना , रिपु  कोरोना   त्राण।।७।।


डॉ. राम कुमार झा "निकुंज'' - नई दिल्ली

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