सदी का सबसे बड़ा , सूर्य ग्रहण सम्पूर्य।।१।।
रहें गेह दर्शन ग्रहण , अनुपम कुदरत मेल ।
आँखमिचौनी भानु शशि , धरा देखती. खेल।।२।।
आज व्योम छायी घटा , बाधक बन नीलाभ।
खेल रही है चन्द्र से , करो ग्रहण अनुणाभ।।३।।
विज्ञान धर्म के बीच में , चला पुनः शास्त्रार्थ।
लाभ हानि चर्चा ग्रहण , मंगल हो लोकार्थ।।४।।
छह घण्टे का ग्रहण यह , करो सूर्य का ध्यान।
कोरोना और चीन का, पाक सहित अवसान।।५।।
सदियों में संयोग यह , सूर्य ग्रहण रविवार।
सत्यं शिव नित सुन्दरम् , हो दुनिया उजियार।।६।।
योग ग्रहण अनुपम मिलन, हो जग का कल्याण।
कवि निकुंज की कामना , रिपु कोरोना त्राण।।७।।
डॉ. राम कुमार झा "निकुंज'' - नई दिल्ली