आलोचना से मनोबल ना टूटे - लेख - शेखर कुमार रंजन

वर्तमान समय को देखते हुए मैं यह कहने पर मजबुर हो गया हूँ, कि इंसान को अपनी शौक़ और मंजिल के बारे में कभी भी किसी को नहीं बताना चाहिए क्योंकि आजकल हमलोग जिस समाज में रह रहे हैं यहाँ बहुत सारे लोग आपके शौक़ और मंजिल को देखते हुए किसी भी तरह की नकारात्मक टिप्पणियां भी कर सकती जिससे की कही न कही आपके रफ़्तार से चल रही जीवन में अवरोध पैदा हो सकती हैं, इसलिए मेरा मानना है कि आप अपनी शौक़ या फिर आप अपने जीवन में क्या पाना चाहते हैं यह किसी को नही बताए और ना ही इसके बारे में दूसरों से कोई राय ले क्योंकि आप की नज़र में उस चीज का जितना महत्व हो शायद आप जिससे राय ले रहे हो उसके नज़र में उतना महत्व ना हो।

मेरा मानना है कि एक ही वस्तु को देखने का नज़रिया अलग अलग व्यक्तियों द्वारा अलग अलग होतें हैं।इस समाज में हर चीज का मूल्य कहीं पर है तो उसी चीज का मूल्य कहीं पर नही है। आप सब्जियां लेने  अक्सर बाजार जाते होंगे आप देखते होंगे कि शुरू से ही लोग सब्जी चुनकर- चुनकर लेना प्रारंभ करते हैं और अंत तक उसका सारा सब्जी बिक जाता हैं इसीप्रकार कोई आज आपको छाँट रहा हैं, तो बिल्कुल भी निराश नहीं होईये क्योंकि इस दुनिया में ऐसे भी लोग हैं जो आपकी सही कीमत जानते हो। आप खुद को जानते हो कि आपकी ताकत क्या हैं ?या फिर आपकी कमियां क्या हैं? क्योंकि आपसे ज्यादा आपको कोई नहीं जान सकता हैं। तो फिर अपने जीवन का फैसला दुसरों के हाथों में देना सही होगा क्या? आप ही बताओ आप यह कैसे कर सकते हो? अरे दुनिया में किसी को जरूरत नहीं है आपके बारे में सोचने की। सभी की अपनी अपनी समस्याएं हैं और सब अपनी अपनी समस्याओं के निदान करने में लगे हुए हैं। और कोई आपसे थोड़े देर के लिए मिलकर यह नहीं बता सकता कि तुम्हें क्या करना चाहिए या फिर क्या नहीं करनी चाहिए।यह मौका तुम दूसरों को नहीं दे सकते हो। यदि दिया भी तो सोचो जितना तुम खुद के बारे में जानते हो कोई दूसरा तुम्हारें बारे में जानता हैं क्या? सोचो क्या अधूरे ज्ञान से पूर्णतः विकास संभव हो सकती है क्या? मुझे लगता है ऐसा बिलकुल भी नहीं।

हमें अपने जीवन में दो चीजों को सुनिश्चित कर लेनी चाहिए अपनी शौक़ और अपनी मंजिल। कभी-कभी कुछ लोगों की शौक़ और मंजिल एक ही होते हैं इसलिए अपने जीवन का फैसला खुद ही करें। साथ ही गुप्त रूप से अपने मंजिल को प्राप्त करने हेतु उस अनुपात में मेहनत भी करें।यदि आप सिंगर बनना चाहते हैं और लोग आपको कलक्टर बनने की सलाह दे रहा है और फिर आप लोगों की सलाह पर आप सिंगिंग को छोड़कर कलक्टर की तैयारी करना प्रारंभ कर दिया है, तो फिर आपसे बड़ा बेबकूफ पूरी दुनिया भर में कोई नहीं होगा। अरे आप जितने बढ़िया ढ़ंग से सिंगिंग को जानते हो और आगे अपने भविष्य को इस क्षेत्र में बढ़ा पाओगे क्या उतने ही अच्छी तरह से आप कलक्ट्री की पढ़ाई को जानते हैं क्या? आप अपना भविष्य संरक्षित कर पाएंगे क्या? मुझे लगता है कि हम जिस कार्य में पूरे मन से लग जाते हैं अर्थात जिस कार्य को पूरे मन से करते हैं उसमें बहुत जल्द ही सफलता हासिल कर लेते हैं किन्तु जो कार्य बिना मन के किया जाता हैं उसमें शायद सफलता हासिल भी न कर पाए। इसलिए आपको अपने जीवन का फैसला करने का पूरा हक है किन्तु सही फैसला आप तब ही कर सकते हो जब समय समय पर आत्ममंथन तथा आत्मनिरीक्षण करते  रहे हो। क्योंकि तब हम अपनी क्षमताओं को अच्छी प्रकार से जान पाते हैं और अपनी रूची को भी जान पाते है कि किस क्षेत्र में है और फिर क्या? जब आपको खुद पर विश्वास हो और पूरी क्षमता से सकारात्मक दिशा में कार्य कर रहे हो, तो दुनिया की कोई ऐसी नकारात्मक शक्तियां नहीं है जो आपकी मनोबल को तोड़ सके और आपको आपकी मंजिल पाने से रोक सकें।

शेखर कुमार रंजन - बेलसंड, सीतामढ़ी (बिहार)

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