मातु यश गाऊँ मैं - गीत - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"


माँ हो तुम ममता का आँचल ,
माँ  बैठ  सदा सुख  पाऊँ मैं ।
अश्रुपूरित   भींगे   नयनों  से,
तुझे  नमन  पुष्प  चढ़ाऊँ  मैं।  

तू जननी अनमोल स्नेहिला ,
कैसे दूध  ऋण  उतारूँ  मैं। 
तुम दर्शन अस्तित्व पूत का, 
तव बिन जीवन रच पाऊँ मैं। 

ममता समता करुणा संगम , 
पी पावन जल  तर जाऊँ मैं।
कर तूने मुझ जीवन  अर्पण ,
माँ कैसे  मूल्य   चुकाऊँ   मैं।  

सही सकल अपमान वेदना, 
अम्ब  दर्द  भूल  न पाऊँ मैं। 
खड़ी ढाल बन  हर बाधा में, 
तुम मातु बिना बच पाऊँ मैं।  

पोंछ  पूत  नैनाश्रु  नेह  नित ,
वह करुण हाथ कहँ पाऊँ मैं।  
मातृहृदय वसुधा विशालतम,
गूढ़  मर्म  समझ  न पाऊँ मैं।  

महाशक्ति  नवरूप  धरा तू , 
दे शक्ति  गीत नित गाऊँ मैं।
वधू बहन  बेटी माँ  बनकर, 
बहुरूप मंत्र  जप  पाऊँ  मैं।  

पशु विहंग जग सुर नर मानव, 
नित पूज्य मातु  यश  गाऊँ मैं।
हूँ    कुपूत , दी  पीड़  अनेकों , 
ख़ुद  क्षमादान  कर   पाऊँ  मैं। 

नित आती माँ   स्मृति पटल में ,
बिन  हाथ  माथ  सो  पाऊँ  मैं। 
दी  तूने  जो शान्ति सुखद क्षण , 
कोख  लाज  पूत  रख पाऊँ मैं।  

निर्भय जो माँ कवच पहन नित ,
रक्षित  तुझ  बिन  जी  पाऊँ  मैं।
स्वीकारो माँ  नमन  सुमन  सुत,  
माँ  ममतांचल छिप  जाऊँ   मैं।   

डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
नई दिल्ली

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