मार्ग सुलभ है पाप का , बड़ा भयावह अन्त ।
दुर्गम राहें धर्म का , सत्य विजय भगवन्त ।।१।।
कठिन परीक्षा सत्य की , बलि लेती अविराम।
मिले न्याय सुन्दर सुखद, धर्म विजय सुखधाम।।२।।
सुखद प्रभा होती दिवा , अन्त रात्रि घनघोर।
पुनः धरा नव आश बन , अरुणिम मंगल भोर।।३।।
रोग शोक हर पाप को , आंजनेय हनुमान।
सियाराम मंगल करें , दें वैभव सम्मान।।४।।
बजरंगी हर व्यथा को , दीन हीन मजदूर।
भूखे बच्चे साथ में , जाने को मजबूर।।५।।
छँटे कालिमा त्रासदी , हो जीवन उजियार।
कवि निकुंज अभिलाष मन,बने सुखद संसार।।६।।
डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"नई दिल्ली