दूर होने की वजह तो बताओ - कविता - कुमार सौरव


चंद लम्हे पहले तो मिले थे 
अब दूर होने की वजह तो बताओ 
माना, मुझमे हजार कमिया है 
पर कभी फुरसत से करीब तो आओ 
चंद लम्हे पहले तो मिले थे 
अब दूर होने की वजह तो बताओ ।

रूठना , मनाना तो मोहब्बत का एक हिस्सा है 
तुम कहो तो मैं रोज मनाऊ 
तुम्हारी ख्वाहिश के आगे 
तुम में मैं बस सिमट सा जाऊ 
चंद लम्हे पहले तो मिले थे 
अब दूर होने की वजह तो बताओ ।

घर में रहते खामोश तुम 
चाहू मारकर मुझे तुम दौड़ाओ
पहले की तरह झगड़े में 
चुपचाप मैं रहू तुम ताने सुनाओ 
चंद लम्हे पहले तो मिले थे 
अब दूर होने की वजह तो बताओ ।

थोड़ा मैं बदलू , थोड़ा तुम उकसाओ
फिर से बातों-बातों में, मेरी गलती तुम गिनवाओ
चलो तुम ही जीते , हारने को तैयार हम बैठे है 
अपने नजरो से देख, एक बार तुम मुझे रुलाओ 
चंद लम्हे पहले तो मिले थे 
अब दूर होने की वजह तो बताओ ।

कुमार सौरव
डुमरा , सीतामढ़ी (बिहार)

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