देख कर तेरा चाँद सा चेहरा
दिल ये पागल हो गया मेरा
जब बिखराती है मुखड़े पे जुल्फे
हो जाता है चारों तरफ अँधेरा
देख कर तेरी नागिन सी जवानी
बन न जाऊँ कहीं मैं सपेरा
ना हसरत है कोठी , बंगलों की
तेरे दिल में बस चाहूँ बसेरा
आदत हो जाती है शोर की
जब पास में बसता हो ठठेरा
कोशिश करता हूँ तोड़ने की
लेकिन नही टूटता यादों का घेरा
है पहली और आखिरी तमन्ना
तेरे घर आऊँ बांध कर शेहरा
जब दिल में हो यादों का समंदर
कटती नही रातें होता नही सवेरा
समुन्दर सिंह पंवाररोहतक (हरियाणा)