कोराना की जीवन शैली में तनाव मुक्त कैसे रहें ? - लेख - सुषमा दीक्षित शुक्ला

इस  प्रश्न का यही हल है कि वर्तमान समय के यथार्थ को समझें  एवं खुले मन से इस सत्य को स्वीकार  करें कि महामारी ने भयानक रूप  तो ले लिया है परंतु इस से डरना नहीं अपितु  लड़ना है एवं जीतना है। इसके लिए बस थोड़ी सी जागरूकता की आवश्यकता है। अपने मनोबल को पहचाने एवं विकसित करने का प्रयत्न करें ।

हतोत्साहित होने से काम नहीं चलने वाला क्योंकि तनाव में जीने से घाटा ही घाटा मिलता चला जाएगा ।इस परिस्थिति  से घबराकर अपने मन का क्षय करके खुद को अव्यवस्थित कर दुखी ना करें । क्योंकि जान है तो जहाँन है के सूत्र को आत्मसात करे , इस समय ज्यादा मुनाफे  और घाटे का गणित कुछ दिनों के लिए भूल जाएं , उसी में भला है खुद का भी , परिवार का भी और देश का भी ।

बदलाव का समय है इसे  सहजता से स्वीकार करें  तो निराशा किस बात की जब हमारे पास परिवर्तन करने की सामर्थ्य है तो कुछ इस तरह से सकारात्मक सोच  को  और अपनी सकारात्मक ऊर्जा को खुद के भीतर व  चारों ओर निर्मित करें , यही एक रास्ता है वर्तमान में खुद को उपस्थित करना ।  परिस्थिति से तालमेल बिठा कर चलना हमें तनाव से बचाएगा । आप अपने मनपसंद की अभिरुचि के कार्य व शौक जो घर में उपलब्ध  हो कर सकते हैं । साफ-सफाई को जीवन का हिस्सा बना ले । अपने आराध्य का भजन व प्रार्थना भी आपको सकारात्मकता प्रदान करने में सहायक सिद्ध होगा इसमें कोई दो राय कदापि नहीं हो सकती । खुश रहने के लिए  योगा ,व्यायाम ,
घरेलू खेल और मनोरंजन के साधन  भी प्रयोग करें  ।
रोजी-रोटी की व्यवस्था भी धीरे-धीरे पटरी पर आ ही रही है ।

जान है तो जहान है के भावों को अपनाकर आगे बढ़े ।
जब हम तनाव में होते हैं  तो चेहरे पर उसके निशान दिखाई देते है और जब त्यौरी चढ़ाते हैं तो चेहरे की 72 नशे और मांसपेशियां उपयोग में आती हैं ।  तनाव मुस्कान को गायब कर देता है। शरीर की लैंग्वेज जिसे बॉडी लैंग्वेज कहते हैं ,व्यक्ति की मानसिक स्थिति और शारीरिक तंत्र की ऊर्जा का संकेत देती है। अच्छे स्वास्थ्य की निशानी है सचेतनता  , सतर्क और जागरूक रहना ।

भावनात्मक अस्थिरता तनाव होने के कारणों में से एक है ।
तनाव से मुक्त होने के लिए हमारी ऊर्जा को पुनः प्राप्त करने के लिए प्रकृति में एक अंतर्निहित व्यवस्था बनाई है जो है निद्रा । निद्रा थकान मिटाती है लेकिन शरीर प्रणाली में तनाव रह ही जाता है । इस प्रकार तनाव  को काबू में रखने के लिए प्राणायाम और ध्यान के तरीके हैं। यह तनाव व थकान दोनों से मुक्ति देते हैं, क्षमता बढ़ाते हैं , तंत्रिका तंत्र और मन को मजबूत बनाते हैं।

ध्यान एक गहरा विश्राम है । बच्चों को भी ध्यान करना सिखाएं, स्वयं भी ध्यान करें  एवं घर के बड़े बुजुर्ग भी हल्का-फुल्का व्यायाम कर सकते हैं । अंततोगत्वा यही कह सकते हैं कि
सकारात्मक वातावरण व सकारात्मक सोच ही कोरोनावायरस  के तनाव से मुक्ति दिला सकती है ।


सुषमा दीक्षित शुक्ला
राजाजीपुरम , लखनऊ (उ०प्र०)


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