बेटों को मिलता मक्खन पुआ , बेटी को सुखी रोटी।।
मत मारो हमको माता ,
हम भी तेरे हैं फूल।
बेटों के जैसा हमको भी,
नित जाने दो स्कूल।।
कच्ची आँगन को भी सौन्दर्य करें ,लगा के बेटी चौका।
सब कुछ कर सकती है बेटी , मिले जो इसको मौका।।
दूजा देश से बेटी , गोल्ड
मेडल को जीत के लाये।
कौन सा ऐसा काम है ,
जो बेटी ना कर पाये।।
माँ का रूप धारण कर बेटी , बेटों को देती दीक्षा।
हम भी एक संकल्प करें , करेंगें इनकी रक्षा।।
ना चाहिए इसे दौलत की
बड़ी - बड़ी पेटियाँ।
दो - दो कुलो को रौशन
करती है ये बेटियाँ।।
मत मारिये हमें जन्म से पहले , हमें भी जन्म लेने दीजिये।
हे! सृष्टि के निर्माता , मुझपर ना ऐसा अनर्थ होने दीजिए।।
गौतम कुमारबारीचक ,मुंगेर (बिहार)