पुराने यार - कविता - राहुल जाटू


सब पुराना बदलने की दुआ की थी
क्या थी खबर पुराने यार भी बदल जाएंगे
जो बसते है दिल मे धड़कनों की तरहा
वो ही हम से नज़रे चुराने लग जायेंगे
अब मिलने को बहाने ढूंढने पड़ते हैं
पहले बिन वजह मिल जाय करते थे
अब तो फ़क़त लबो पे शिकवे रहते हैं
पहले हर गिले पे लतीफे ढूंढ लाया करते थे
कभी सोचा ना था दिलगीबाज़ ही
मजाक का भी बुरा मानने लगे जाएंगे
सब पुराना बदलने की दुआ की थी
क्या थी खबर पुराने यार भी बदल जाएंगे
पुराने यार भी बदल जाएंगे


राहुल जाटू
नांगल चौधरी

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