किसी को अहंकार है - कविता - सुषमा दीक्षित शुक्ला


किसी को अहंकार है ,
ज़रा से  ही ज्ञान का ।

किसी को अभिमान है ,
मान  औ सम्मान का ।

कोई प्रफुल्लित रूप गर्वित,
प्राप्त प्रभु से चाम का ।

कोई अहम मे भ्रमित देखो,
सम्पदा  की  शान का  ।

पर न  उनको  ज्ञान है ,
परमात्मा के काम का ।

मूर्ख खुद को श्रेय देते ,
जो कृत्य है  प्रभु राम का।

सुषमा दीक्षित शुक्ला

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