एक नज़र - कविता - रुखसाना सुल्तान


जिंदगी मौत ना बन जाए, संभल जाओ प्यारो,
मुश्किल में है वतन छीन रहा चैनो अमन,
कब तक निकलेगी यह घुटन,

     यह इंदिरा का वतन यह झांसी का वतन।
     घर पर बने नर्से, घर पर बने डॉक्टर,
     हर घर इस मुश्किल में आगे आए,
     करो कदर डॉक्टर और नर्सों की,
     जो रखे हुए हैं हथेली पर जान,
     मुश्किल में है सारा जहां।

ईटों पत्थरों से ना बनेंगे काम,
फूल बरसाओंगे तो हो जाएगा नाम,
कर हमेशा अच्छे अच्छे काम,
वरना हो जाओगे बदनाम।

     कानून पढ़ो और उस पर चलना सीखो,
     मुश्किल में है वतन चल रहा चैनो अमन,
     मुश्किल में है तुम्हारी अपने,
     हाल अहवाल जानो उनका, जो बन गए हालात का शिकार,

     मुश्किल में है वतन छिन रहा चैनो अमन।
     इस मुश्किल घड़ी में कंधा देने के बजाय,
     कंधे से कंधा मिलाकर चलना सीखो।
     यह है मेरा वतन, यह मेरा वतन।

झुका सिर को सजदा करने के लिए,
ना झुका सिर को पत्थर उठाने के लिए,
बात बन जाएगी बात करने से,
बात बिगड़ जाएगी बात ना करने से,
कौन जाहिल है जो ना सुनेगा तुम्हारी बात,
अपनी बात कहना और मनवाना सीखो,
यह है मेरा वतन यह है मेरा वतन।

     है दुआ मेरी ऊपर वाली से,
     बचाने सभी को इस बवा से।

इंसाफ पाने में उम्र जाती है बीत,
रात को अदालत लगाने की अब है रीत,
इंसान जो चाहे हो सकता है सब,
यह बात ज़माने की समझ में आएगी कब।

     तुमको पैकर बाप की इज्जत का,
     भाई की गैरत का, शहर की अताअत का,
     औलाद की मोहब्बत का,
     जज्बे थे सारे सच्चे,
     फिर क्यों? की ऐसी हिमाकत।

यहां है मोहब्बत का सबसे चलन,
यह मेरा वतन यह है मेरा वतन।
यह चांद बीबी का वतन,
यह इंदिरा का वतन,
लक्ष्मीबाई का वतन,
मीराबाई का वतन,
यह है हमारे देश की वीरांगनाएं,
जिनको हम कभी ना भुलाएं,
बनना है तो बन जाए ऐसी,
ना बन ऐसी वैसी।

     जिंदगी मौत ना बन जाए संभल जाओ प्यारों,
     लोकडाउन में भी हो जाते हैं, शानो शौकत से विवाह,

      दूसरे की जज़्बात  की किसको है परवाह,
      सुन्नी देवबंदी करके लड़ने को हो तैयार,
      इस सब से कब आओगे बाहर,
      इंसान का इंसान से नाता,

इंसान की क्यों मैं भूल जाता।
किसी को अपना कहते हुए शर्म है आती,
हर तरफ से साज़िश की है बू आती।
इससे पहले रिश्ते हैं संभल जाएं,
सांसों की पूंजी खत्म हो ना जाएं।
कहने को है तो बहुत कुछ बाकी,
समझदार को है इशारा ही काफी।

      जिंदगी मौत ना बन जाए संभल जाओ प्यारों,
      मुश्किल में है वतन छिन रहा चैनों अमन।

दुनिया को दबदबा दिखाने को क्या-क्या करा एजाद,
अब खुद ही हो रहा है बर्बाद।
कोरोना का रोना रो रहा है सारा संसार,
बिन असला के बना खतरनाक हथियार।
बिन गलती के फंस गए सब,
इस बवा से निजात मिलेगी कब।

जो इंसान को बना देता है भगवान,
यह मेरा वतन महान, यह मेरा वतन महान।

     इस वक्त घर में बैठ जाओगे,
     तो बच जाएगी जान,
     इस बात को सुनकर ना हो इतना हैरान-परेशान,
     इस बात को ना भूलो तुम,
     सब है कोरोना वायरस से परेशान।

कहां से आ गई यह बवा,
जो बन गई जानलेवा।
सब है हैरान व परेशान,
यह मेरा वतन महान है मेरा वतन महान।

     प्रधानमंत्री जी आते हैं करने मन की बात,
     कितने अच्छे से समझाते हैं छोटी-बड़ी बात।

इधर-उधर ना भटको तुम,
हर हालात को अच्छे से समझो तुम,
प्रधानमंत्री जी का है यह काम,
कर दिखाओ इतना बड़ा काम।

     है जान तो है जहान,
     इस बात को समझो तुम,
     घर से बाहर दिन बजाके ना निकलो तुम।

जिंदगी मौत ना बन जाए समझ जाओ प्यारों,
मुश्किल में है वतन छिन रहा चैनो अमन।

     Lockdown का है शाहकार,
     इसमें छिपें है सारे संस्कार।
     कर्तव्य में निहित है अधिकार,
     इस बात को ना समझो तुम बेकार।

उन शहीदों को मेरा नमस्कार,
जो हो गए कोरोना का शिकार।
देश पर मर मिटने का है यहां चलन,
यह है मेरा वतन,
है मेरा वतन।


रुखसाना सुल्तान

Instagram पर जुड़ें



साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos