संदेश
विधा/विषय "हास्य कविता"
विधवा पेंशन - हास्य कविता - सुधीर श्रीवास्तव
बुधवार, नवंबर 11, 2020
पति पत्नी में बड़ा प्यार था, मगर अचानक एक दिन पत्नी को जाने क्या सूझी पति से बोली तुम्हारे दिमाग तो है ही नहीं। पति चौंका आंय ऐसा भी है…
आज का दौर - कविता - सूर्य मणि दूबे "सूर्य"
शुक्रवार, अक्तूबर 16, 2020
आज के दौर की बातें कर लें जुबा कुछ कहती कुछ दिल नें छुपाई है किसी की टोपी किसी के सर, किसी और ने पहनाई है, किसी का प्यार, किसी की पसन…
अध्यक्षीय भाषण - कविता - सुधीर श्रीवास्तव
शुक्रवार, सितंबर 25, 2020
हिन्दी दिवस आयोजन के अध्यक्ष महोदय ने अपने भाषण में कुछ यूं कहा संजीदगी से कि मैनें अपने बाल नोच लिए बेचारगी से मैं आपका हिन्दी डे क…