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विधा/विषय "मोनोलॉग"
एक ख़त - मोनोलॉग - अशहर आलम
सोमवार, अगस्त 22, 2022
आज भी जब कभी यूनिवर्सिटी के रास्ते से गुज़रता हूँ, तो सारे गुज़रे पल मेरी आँखों के सामने नुमाया होने लगते हैं। वह सब जो मैंने तुम्हें पह…
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आज भी जब कभी यूनिवर्सिटी के रास्ते से गुज़रता हूँ, तो सारे गुज़रे पल मेरी आँखों के सामने नुमाया होने लगते हैं। वह सब जो मैंने तुम्हें पह…
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