संदेश
चलो लगाएँ वृक्ष हम - दोहा छंद - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
ख़ुद जीवन का रिपु मनुज, खड़े मौत आग़ाज़। बिन मौसम छाई घटा, वायु प्रदूषित आज।। भागमभागी ज़िंदगी, बढ़ते चाहत बोझ। सड़क सिसकती ज़िंदगी, वाहन बढ़ते…
काटते जंगल - कविता - डॉ. सरला सिंह "स्निग्धा"
काटते जंगल वे बनाते हैं कंकरीटों के फिर महल। उसी में रमते हैं खुशी से जाता मन उसी में बहल। दिलो दिमाग़ पर हावी है धन दौलत की बस चाह। द…
कोरोना पर्यावरण के बीच में सकारात्मक समाचार - निबंध - आनन्द कुमार "आनन्दम्"
पर्यावरण से तात्पर्य हमारे चारो ओर के वातावरण से है जिसमें हम रहते है। इसमे भूमि, जल, वायु, पेड़-पौधे, पशु-पक्षी आदि शामिल है। लगभग सम…
पर्यावरण बचाना होगा - कविता - हरदीप बौद्ध
पर्यावरण पर ध्यान धरो कल की चिंता आज करो। जीवन अपना तुम मानकर जल को ना यूँ बर्बाद करो।। अब वृक्ष लगाना शुरू करो और हरा भरा …
पर्यावरण और गाँव - दोहा - संजय राजभर "समित"
योगी रोगी हो गये, कहाँ करे अब वास? दूषित पर्यावरण से, मुश्किल में है साँस।। अब कहाँ है पात हरे, सावन में भी पीत। मौसम है बदला हुआ, गुस…
बने स्वच्छ पर्यावरण - दोहा - डॉ. राम कुमार झा "निकुुुंज"
खुद जीवन का रिपु मनुज , खड़े मौत आगाज। बिन मौसम छायी घटा , वायु प्रदूषित आज।।१।। भागमभागी जिंदगी , बढ़ते चाहत बोझ…