संदेश
विधा/विषय "धुआँ"
यह कैसा धुआँ है - कविता - प्रभात पांडे
सोमवार, मई 17, 2021
लरज़ती लौ चरागों की यही संदेश देती है, अर्पण चाहत बन जाए तो मन अभिलाषी होता है। बदलते चेहरे की फ़ितरत से क्यों हैरान है कैमरा, जग में क…
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लरज़ती लौ चरागों की यही संदेश देती है, अर्पण चाहत बन जाए तो मन अभिलाषी होता है। बदलते चेहरे की फ़ितरत से क्यों हैरान है कैमरा, जग में क…
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