संदेश
विधा/विषय "दलित"
जाति, जाती नहीं - कविता - शिवानी कार्की
मंगलवार, दिसंबर 05, 2023
माँ, आपने मुझे बचपन से सिखाया था... कि पानी देवता हैं सबका साँझा है और तुम तो शुक्र करो कि तुम इंसान हो... इतना बड़ा लोकतंत्र है और ना…
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माँ, आपने मुझे बचपन से सिखाया था... कि पानी देवता हैं सबका साँझा है और तुम तो शुक्र करो कि तुम इंसान हो... इतना बड़ा लोकतंत्र है और ना…
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