संदेश
विधा/विषय "आदत"
आदत - सजल - संजय राजभर "समित"
शनिवार, मार्च 13, 2021
गहरा रहने की आदत है। अश्क छुपाने की आदत है।। पड़ोसी भूखा रह न जाए। हाथ बढ़ाने की आदत है।। डंक मारेगा बिच्छू मगर। फ़र्ज़ निभाने की आ…
आदत तुम्हारी न बन जाये - कविता - रमेश चंद्र वाजपेयी
मंगलवार, नवंबर 10, 2020
हर किसी को चाहना और उसें प्यार जताना कही आदत तुम्हारी न बन जाये। हमसें झूठ बोलना और किसी के वादे निभाना डर हमको, तुम्हे कोई बदनाम न कर…
आदतों में परिवर्तन का महत्त्वपूर्ण दौर - लेख - सतीश श्रीवास्तव
शुक्रवार, जुलाई 03, 2020
हमारी संस्कृति में जो जीवन जीने के तौर-तरीकों को अपनाने के उल्लेख मिलते हैं उसमें अच्छी तरह से हाथ धोना भी सिखाया है तो वहीं स्वच्छ…