संजय राजभर "समित" - वाराणसी (उत्तर प्रदेश)
आदत - सजल - संजय राजभर "समित"
शनिवार, मार्च 13, 2021
गहरा रहने की आदत है।
अश्क छुपाने की आदत है।।
पड़ोसी भूखा रह न जाए।
हाथ बढ़ाने की आदत है।।
डंक मारेगा बिच्छू मगर।
फ़र्ज़ निभाने की आदत है।।
आवाज़ दबा दी जाती है।
पर चिल्लाने की आदत है।।
'समित' जागना ही जीवन है।
मुझे जगाने की आदत है।।
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