बोल उठे नयन - गीत - अतुल पाण्डेय 'बेतौल'

बोल उठे नयन - गीत - अतुल पाण्डेय 'बेतौल' | Prem Geet - Bol Uthe Nayan - प्रेम पर गीत कविता
नैनों ने सुन ली बातें सब, कही जो तुम्हारे नैनों ने,
समझी कानों ने भाषा वो, बोली जो तुम्हारे गहनों ने।

अरदास तुम्हारे दिल की, पहुँची मेरे मन मंदर में,
कहने को तो चले गए हो, पर बसे हो मेरे अंदर में,
बे-मन कहना जाने को, मेरे दिल को समझाने को,
मेरे मन को उलझाया, तुम्हारी चाहत के उलहनो ने।

नैनों ने सुन ली बातें सब, कही जो तुम्हारे नैनों ने,
समझी कानों ने भाषा वो, बोली जो तुम्हारे गहनों ने।

बाँह थाम कर रोक लूँ तुमको, सिंदूरी संध्या हो प्रिय संग,
चंदन बन कर महको तुम, निज हिए बसाऊँ बना उमंग,
मैं टटोल उँगलियों देखूँ तुमको, हर स्पर्श पर तुम चिहुँको,
ब्याज प्रेम का चुकता कर दो, सताया दिलों को रहनों ने।

नैनों ने सुन ली बातें सब, कही जो तुम्हारे नैनों ने,
समझी कानों ने भाषा वो, बोली जो तुम्हारे गहनों ने।

कदम तुम्हारे काँप रहे थे, कहें आवाज़ दे रोक लो आज,
हृदय उठी झंकार नशीली, मन के घुँघरू खोलें सब राज़,
धधक रही थी ज्वाला, तन मन दीवाना मन हुआ मतवाला,
बिच्छू का डंक क्या तड़पाए, जो पीर दी प्रेम बरहनों ने।

नैनों ने सुन ली बातें सब, कही जो तुम्हारे नैनों ने,
समझी कानों ने भाषा वो, बोली जो तुम्हारे गहनों ने।

अतुल पाण्डेय 'बेतौल' - कानपुर (उत्तर प्रदेश)

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