अंकुर सिंह - चंदवक, जौनपुर (उत्तर प्रदेश)
पर्व पर आनंद मनाऊँ कैसे? - कविता - अंकुर सिंह
बुधवार, अक्टूबर 30, 2024
देखा था रोशनी जिन अपनों संग,
बिछुड़ उनसे दीप जलाऊँ कैसे?
रूठे बैठे है जो अपने सगे संबंधी,
बिन उनके मैं तिमिर हटाऊँ कैसे?
रिश्तों में उपहार साथ मिला था,
रस्म निभाने का बात मिला था।
जिनसे जन्मों का साथ मिला था,
फिर उनके बिन पर्व मनाऊँ कैसे?
मेरे अपने मुझसे मुख मोड़ बैठे है,
फिर गैरों संग दीप जलाऊँ कैसे?
त्योहारों पर छूटा यदि साथ अपना,
तो इस पर्व पर आनंद मनाऊँ कैसे?
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर