पर्व पर आनंद मनाऊँ कैसे? - कविता - अंकुर सिंह

पर्व पर आनंद मनाऊँ कैसे? - कविता - अंकुर सिंह | Hindi Kavita - Parv Par Aanand Manaaoon Kaise - Ankur Singh | दिवाली पर कविता
देखा था रोशनी जिन अपनों संग,
बिछुड़ उनसे दीप जलाऊँ कैसे?
रूठे बैठे है जो अपने सगे संबंधी,
बिन उनके मैं तिमिर हटाऊँ कैसे?

रिश्तों में उपहार साथ मिला था,
रस्म निभाने का बात मिला था।
जिनसे जन्मों का साथ मिला था,
फिर उनके बिन पर्व मनाऊँ कैसे?

मेरे अपने मुझसे मुख मोड़ बैठे है,
फिर गैरों संग दीप जलाऊँ कैसे?
त्योहारों पर छूटा यदि साथ अपना,
तो इस पर्व पर आनंद मनाऊँ कैसे?


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