तूलिका ने कहा ना लिखूँगी प्रणय - कविता - राघवेंद्र सिंह
सोमवार, सितंबर 30, 2024
तूलिका ने कहा ना लिखूँगी प्रणय,
इस प्रणय का समापन तो वैराग्य है।
इस प्रणय में बँधे कृष्ण थे राधिका,
अंततः राधिका को मिली सिसकियाँ।
वेदना अरु रुदन, त्रास उनको मिला,
इस प्रतीक्षा में केवल मिली हिचकियाँ॥
यदि मिलें फिर कभी कृष्ण से राधिका,
तो मेरी तूलिका का यह सौभाग्य है।
तूलिका ने कहा ना लिखूँगी प्रणय,
इस प्रणय का समापन तो वैराग्य है॥
इस प्रणय में बँधे वो लखन-उर्मिला,
अंततः वन के वासी हुए वो लखन।
ना अधर खुल सके ना मिली एक झलक,
अश्रुओं की विदाई में निष्फल नयन॥
यदि मिले फिर लखन-उर्मिला से कभी,
तो मेरी तूलिका का यह सौभाग्य है।
तूलिका ने कहा ना लिखूँगी प्रणय,
इस प्रणय का समापन तो वैराग्य है॥
इस प्रणय में बँधा कृष्ण-मीरा का मन,
हो प्रणय में मगन कृष्ण को अपना लिया।
त्याग कर राजमहलों का सुख ही सदा,
अंततः हो विवश, पान विष का किया॥
यदि मिली मीरा माँ कृष्ण से फिर कभी,
तो मेरी तूलिका का यह सौभाग्य है।
तूलिका ने कहा ना लिखूँगी प्रणय,
इस प्रणय का समापन तो वैराग्य है॥
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर