मैं स्त्री हूँ - कविता - प्राची अग्रवाल

मैं स्त्री हूँ - कविता - प्राची अग्रवाल | Hindi Kavita - Main Stree Hoon - Prachi Agarwal. Hindi Poem on Women. स्त्री पर कविता
जानती हूँ मैं अपनी मर्यादा
हर वक्त मुझे मत टोको।
मर्यादा लाँघने वाली स्त्रियाँ अलग होती है।
मुझे उनके साथ मत तोलो।

भाषा हूँ मैं मौन की।
नज़रों से पढ़ी जा सकती हूँ।
कोई ब्रेल लिपि तो नहीं मैं,
जो छूकर या स्पर्श करके ही समझी जाऊँ मैं। 

क्या पहनना है मुझे
यह निर्णय मेरा ख़ुद का होना चाहिए। 
पति को यह पसंद है सास को यह नहीं। 
मैं कोई गुड़िया तो नहीं जो सबकी पसंद को समझूँ।

माँ गंगा के जैसा है वेग मेरा।
निर्मल और पावन है मन मेरा। 
करना चाहती हूँ कुछ अपने मन का।
स्त्री समझ कर मुझे बंधनों से ना बाँधो मुझे।

प्राची अग्रवाल - खुर्जा, बुलंदशहर (उत्तर प्रदेश)

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