संकटों के साधकों - कविता - मयंक द्विवेदी

संकटों के साधकों - कविता - मयंक द्विवेदी | Hindi Prerak Kavita - Sankaton Ke Saadhakon - Mayank Dwivedi. Hindi Motivational Poem
हे संकटों के साधकों
अब इन कंटकों को चाह लो
समय दे रहा चुनौती जब
कुंद को नयी धार दो
वार पर अब वार हो
और प्रयत्नों की बौछार हो 

गा रही हो दुन्दुभि
जब चुनौतियों का राग हो
साहस भरो उरों की चौखटों 
और बाजुओं में जान दो
फूँक दो ये शंख फिर से
युग नया आग़ाज़ हो

ये रगों में दौड़ता
ख़ून का तेज़ाब हो
काट दो या तोड़ दो
इस प्रमाद जाल को
अब विघ्न का उल्लास हो
और विघ्न ही आल्हाद हो

उठो समय लिख रहा
इतिहास का अध्याय ये
लिखों समय के भाल पर
संघर्षो का पर्याय में
अब विजय अन्तर्नाद हो
और हार अन्तर्नाद हो
हे संकटों के साधकों
अब इन कंटकों को चाह लो


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