कॉलेज के दोस्त - कविता - अभिषेक शुक्ल

कॉलेज के दोस्त - कविता - अभिषेक शुक्ल | Hindi Kavita - College Ke Dost - Abhishek Shukla. Friendship Poems, Friendship Poetry | दोस्ती पर कविता
कॉलेज में वफ़ादार यार का मिल जाना ठीक-ठीक वैसा ही है!
मरुस्थल में किसी प्यासे पथिक को पानी उपलब्ध हो जाने जैसा!
ज़मीं नापते-नापते दम घुटने लगता है जब उसका
आस इतनी हवा के झोंके की सरसराहट भी,
उसे प्यास बुझाने का ज़रिया जान पड़ती!
है ही कौन वहाँ सिवा उसके और उसकी उम्मीद के
जो समझ सके उसके चेहरे पर प्यास की सिकन 
शायद कोई नहीं...
किनारा तो मिल ही जाएगा कभी न कभी
कोई तो सरोवर आ ही जाएगा पास चल के,
मिटेगी प्यास राहगीर की आख़िरश!
मगर ये यात्रा राही के जीवन की
यादगार यात्राओं में से एक होगी।

अभिषेक शुक्ल - फ़र्रूख़ाबाद (उत्तर प्रदेश)

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