संबंधों की सार्थकता - कविता - प्रवीन 'पथिक'
शुक्रवार, मई 31, 2024
कथा की प्रासंगिकता,
कथ्य के प्रभावशाली होेने से है।
शब्दों का जीवंतता,
गहरे भाव बोध से होता है।
जीवन की अर्थग्राह्यता,
मुक्ति की दिशा से होती है।
और प्रेम की व्यापकता
हृदय विस्तार से है।
कथा, शब्द, जीवन, मुक्ति
क्या सम्पूर्ण मनुष्यता की सीमा नहीं हैं!
जिससे सभी ज़िंदगियाँ गुज़रती हो।
विचारों की अनसुलझी डोर,
मन को कुंठित औ मस्तिष्क को;
पंगु बना देती है।
अविश्वास, शंका और भ्रम
रिश्तों की बुनियाद को,
तार-तार कर देते हैं।
जिसे पुनः सँजोना,
पानी पर लकीर खींचने जैसा हो जाता है।
मन में संदेह ही क्यों?
जो कुरेदता रहे हृदय को!
रिश्तों में अविश्वास ही क्यों?
जो हृदय में ग्रंथि पैदा करे।
प्रेम और सौहार्द से
कुटिल हृदय भी विजित होता है।
मन में भ्रम और हृदय में
ग्रंथि पालने से नहीं।
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर