मौन बना महाशस्त्र - कविता - छगन सिंह जेरठी

मौन बना महाशस्त्र - कविता - छगन सिंह जेरठी | Hindi Kavita - Maun Banaa Mahaashastra - Chhagan Singh Jerthi. मौन पर कविता
किसी अनजाने ग़म ने घेरा है,
तभी से ख़ामोशी का डेरा है।
फिर मौन बना महाशस्त्र...

एक अकेला क्या करता मैं,
डरता ना तो फिर मरता मैं।
फिर मौन बना महाशस्त्र...

मृत्यु भय जब मन पर छाया,
समर साहस मैं जुटा ना पाया।
फिर मौन बना महाशस्त्र...

कभी कहा तक़दीर बना था,
बीत गया जो वक्त भला था।
फिर मौन बना महाशस्त्र...

संग सपने बुनने वाले चले गए,
फिर सब सुनने वाले चले गए।
फिर मौन बना महाशस्त्र...

छगन सिंह जेरठी - सीकर (राजस्थान)

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