लौट फिर बसन्त आया - कविता - महेन्द्र सिंह कटारिया

लौट फिर बसन्त आया - कविता - महेन्द्र सिंह कटारिया | Hindi Kavita - Laut Phir Basant Aayaa - Mahendra Singh Katariya | बसन्त ऋतु पर कविता, Hindi Poem On Spring Season
पीत वर्णी पुष्पित ओढ़ चुनरिया,
निज आँगन वसुंधरा ने सजाया।
फैला चहुँओर उत्साही नज़रिया,
लगता लौट फिर बसन्त आया।

बगिया में ठूॅंठ सा खड़ा तरु भी,
अब नव पल्लवों से लहलहाया।
बाग़-बग़ीचों गृह वाटिकाओं के,
खिले गुलज़ार से मन इठलाया।

मंद-मंद बहती सुरभित हवा में,
खिली कलियों पर भौंरे मँडराए।
अद्भुत दृश्यावली देख धरा पर,
प्रफुल्ल जीव-जगत मन हर्षाए।

कोयल कूक रही वन उपवन में,
धानी बालियाँ खेतों में लहराई। 
मधुप मधु संचय करती पुष्पों से,
मंजरी ख़ुशबू से महकी अमराई।

महेंद्र सिंह कटारिया - नीमकाथाना (राजस्थान)

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