कोई ख़ुशबू, कोई साया, याद आया रात भर - ग़ज़ल - रोहित सैनी

कोई ख़ुशबू, कोई साया, याद आया रात भर - ग़ज़ल - रोहित सैनी | Ghazal - Koi Khushbu Koi Saaya Yaad Aaya Raat Bhar. प्रेम पर ग़ज़ल, Love Ghazal
अरकान: फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन
तक़ती: 2122  2122  2122  212

कोई ख़ुशबू, कोई साया, याद आया रात भर, 
जाने किसकी, याद ने हमको जगाया रात भर। 

रात गुज़री बात करते तारिकाओं से जो ये, 
सोचते हैं किससे ये रिश्ता निभाया रात भर। 

रात भर जलती रही थी कुछ मसालें याद की, 
जाने किसने याँ फ़लक पे दिन उगाया रात भर। 

रात भर लिखते रहे ख़त में किसे हम हाल-ए-दिल, 
कौन जाने, कौन हमको, याद आया रात भर। 

रात को हमने कभी इस रात ने 'रोहित' हमें, 
रख के अपने काँधे पे सर को सुलाया रात भर। 

रोहित सैनी - जयपुर (राजस्थान)

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