जो पग कहें तो बढ़ चलो - कविता - राघवेंद्र सिंह

जो पग कहें तो बढ़ चलो - कविता - राघवेंद्र सिंह | Hindi Prerak Kavita - Jo Pag Kahen To Badh Chalo. Hindi Motivational Poem. मोटिवेशनल कविता
जो पग कहें तो बढ़ चलो,
स्वयं से ही यूँ लड़ चलो।
शिखर का अंत है कहीं,
जो दिख रहा तो चढ़ चलो।

दृगों में तुंग कोर हो,
हृदय सदा विभोर हो।
करों में धैर्य की सदा,
वो आस्था की डोर हो।

हो ध्येय लक्ष्य पर अटल,
सदा ही वेग हो प्रबल।
न भय रहे यदा-कदा,
सदा विजय हो पथ सफल।

जो गिर गए कहीं यदि,
संभल सको तो बढ़ चलो।
शिखर का अंत है कहीं,
जो दिख रहा तो चढ़ चलो।

सदा ही रव में घोष हो,
निजत्व पे न रोष हो।
स्वयं का कर्म-पथ बनो,
न भेद हो, न दोष हो।

समर्थता को जान लो,
वो सिंधु सा उफान लो।
पड़ाव नव ही पथ गढ़ो,
हुई विजय यह मान लो।

स्वयं के मुख की काँति को,
बदल सको तो बढ़ चलो।
शिखर का अंत है कहीं,
जो दिख रहा तो चढ़ चलो।


Instagram पर जुड़ें



साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos