राखी का त्यौहार - कविता - जयप्रकाश 'जय बाबू'

राखी का त्यौहार - कविता - जयप्रकाश 'जय बाबू' | Rakshabandhan Kavita - Raakhi Ka Tyohaar. राखी के त्योहार पर कविता
भाई बहन के प्यार का आया यह त्यौहार है,
सब रिश्तों से ऊपर राखी का यह त्यौहार है।

बहना चाहे एक सहारा, सुख दुःख एक बंधन हो,
जब भी आवाज़ लगाए, भाई हरपल संग संग हो।
दुनिया में समानता की गूँज रही यह ललकार है।

भैया मेरे साथ निभाना जब तक धरती अंबर हो,
तेरे लिए माँगूँ दुआएँ सौ बरस की तेरी उमर हो।
हर देव गंधर्व से मेरी यही अरज बस हर बार है।

कच्चे धागे से मैं आज तेरी कलाई सजाऊँगी,
माथे पर तेरे रोली चावल का टीका लगाऊँगी।
तेरा होना ही मेरे लिए एक अतुल उपहार है।

बहना सुन तुझपे मैं सारी दुनिया लूटा जाऊँगा,
तू लाखों में है एक सारी दुनिया को बताऊँगा।
आबाद रहे तेरा गुलिस्ताँ वहाँ सुख का अंबार हो।


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