ऊर्मि शर्मा - मुंबई (महाराष्ट्र)
सुलगते जा रहे हैं - कविता - ऊर्मि शर्मा
रविवार, जून 04, 2023
हर सीढ़ी पर
जाति पूछते हो क्यों?
सभी को एक रख
हर-सदी में
सफलता श्रेष्ठता की
सीढ़ीयों पे चढ़ना है
मगर!
त्रासद सत्य यह है
कि हम बहुमूल्य धरोंहरो
को भूल कर
अनैतिक अमानवीय
संवेदनहीन हो रहे है
हर तरफ़ सर्वाथ
प्रलोभन दिखाके
यह पथ-परदर्शक
हमें भरमा दिशाहीन
करते जा रहे हैं।
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