हादसों का
शहर है ये
बचके रहिए।
कामना है आसमानी
हो गई।
और फूलों की
जवानी हो गई॥
जीवन में है
नदी की
धार सा बहिए।
इंसानियत सूख के
काँटा हुई।
सभ्यता के गाल पर
चाँटा हुई॥
आपके क्या
हाल-चाल हैं
ज़रा कहिए।
अविनाश ब्यौहार - जबलपुर (मध्य प्रदेश)
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