प्रशान्त 'अरहत' - शाहाबाद, हरदोई (उत्तर प्रदेश)
मुहब्बत एक-तरफ़ा थी - नज़्म - प्रशान्त 'अरहत'
शनिवार, मार्च 11, 2023
बहुत बरसों बरस पहले
मेरे कॉलेज कि इक लड़की
हमारे पास आई थी
मेरा बस नाम पूछा था।
मैं ठहरा गाँव का लड़का
उसे फिर आँख भर देखा
बहुत नादान दिखती थी
तभी मैं दिल लुटा बैठा।
मुहब्बत एक-तरफ़ा थी।
हमारी क्लास में भी वो
हमारे साथ रहती थी
बहुत तहज़ीब थी उसमें
बहुत प्यारा था लहज़ा भी।
रवायत को निभाती थी
वो खाँटी लखनवी लड़की
उसी की इन अदाओं पर
तभी मैं दिल लूटा बैठा।
मुहब्बत एक-तरफ़ा थी।
कभी हम साथ में खाना
कभी हम चाय पीते थे
पढ़ाई में वो अव्वल थी
मैं दोनों मामलों में था।
मुझे बातें सभी उसकी
अभी तक याद आती हैं
तभी तारीफ़ करता हूँ
तभी मैं दिल लुटा बैठा।
मुहब्बत एक-तरफ़ा थी।
"मेरी मम्मी भी कहती हैं
सलीक़ा-मंद है लड़की
दुआ पूरी ये हो जाए
बने मेरी बहू छुटकी।"
कोई है चीज़ कुदरत की
मिलाती है मुझे उससे
हुआ संयोगवश मिलना
तभी मैं दिल लुटा बैठा।
मुहब्बत एक-तरफ़ा थी।
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर