कवि क्या है? - कविता - ईशांत त्रिपाठी

मैं कवि नहीं, काव्य हूँ,
शब्द रचना भाष्य हूँ।
जगत की समृद्धि का
मैं ही सदा आधार हूँ।

मैं लक्ष्य नहीं, मार्ग हूँ,
जीवंत भाव प्रवाह हूँ।
गगन हूँ संसार का
पर खोल तू मैं उड़ान हूंँ।

मैं चित्त नहीं, हूँ चेतना,
वृत्ति धर्म हूँ सांत्वना।
संसार को प्रकाश का
स्वप्न मैं ही हूँ बाँटता।

मैं स्वच्छंद और निर्द्वंद हूँ,
मैं सरल सहज प्रसन्न हूँ।
तुम भी बनोंगे ऐसे ही 
मैं ही सरल हूँ वो आस्था।

ईशांत त्रिपाठी - मैदानी, रीवा (मध्यप्रदेश)

साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिये हर रोज साहित्य से जुड़ी Videos