कौन दोषी? - कविता - अनिल कुमार केसरी

कौन है? 
जो पेड़ की डालों पर झूल रहा है,
कोई मस्ती में आया;
या कि अपनी बर्बादी पर मौत से खेल रहा है?
लग रहा कोई आम इंसान है,
फ़सल बर्बाद,
शायद फाँसी के फँदे पर झूलता किसान है?
क्या हुआ?
कि मौत इतनी सस्ती हो गई,
खेत-खलियान खाली,
सरकार भी अब न जाने क्यों बहरी हो गई?
क्यों?
ऐसे क़दम उसने उठाए होंगे,
बरसात ने,
या कि सिस्टम ने ऐसे हाल बनाए होंगे?
कौन दोषी?
किसके हिस्से मौत लिखी है?
शासन अंधा-बहरा,
शायद अन्नदाता की ही सारी ग़लती है...?

अनिल कुमार केसरी - देई, बूंदी (राजस्थान)

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