इशिका चौधरी - ग़ाज़ियाबाद (उत्तर प्रदेश)
मोमबत्ती - कविता - इशिका चौधरी
शुक्रवार, अक्तूबर 14, 2022
जलती है एक मोमबत्ती
जैसे उम्मीद की नई किरण जलती है,
आशा के दरवाजे पर
जैसे नई बगिया सी महकती है।
जीवन रूपी समान लौं
एक नया रास्ता दिखाती है,
महक जाता है घर सारा
जब एक कोने से कहीं
जीवन की आशा नज़र आती है।
अंत तक जो धागा साथ रहें
ऐसा मज़बूत सा ये जीवन हो,
अँधकार को जो दूर मिटा दे
ऐसा नया सा एक दर्पण हो।
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