काश आज मेरी वो होती - कविता - भगवती प्रसाद मिश्र 'बेधड़क'

दिल के दर्द प्यार से धोती।
काश आज मेरी वो होती॥

1.
बात-बात में नखरे करती।
दिल का चैन प्रेम से हरती॥
मिलता वक्त लगाते गोते।
प्रेम प्यार भर नींदें खोते॥
अंग-अंग में सिहरन बढ़ती।
प्यारी लहरें दिल पे चढ़ती॥
प्रेम-प्यार मनुहार मचलते।
दिलों-दिलों बेधड़क टहलते॥
मन पतंग आकाश उड़ाते।
स्वप्न सरोवर बैठ नहाते॥
साँसों की गतिविधियाँ बढ़ती।
अनायास रुक ऊपर चढ़ती॥
प्रेम समंदर तन को धोती। 
काश आज मेरी वो होती॥

2.
प्रेम-प्यार का गीत सुनाती।
दुलरा फुसला प्यार जताती॥
कभी उछलती प्रेम प्यार भर।
प्यारी-प्यारी नींदों को हर॥
कभी गाल पे हाँथ फिराती।
बीते लम्हे याद दिलाती॥
कभी प्यार में माथ चूमती।
दिल भीतर बेधड़क घूमती॥
स्वप्न सलोनी मनहर मूरति।
चंदा मामा जैसी सूरति॥
प्रेम-प्यार बीजों को बोती।
काश आज मेरी वो होती॥

3.
प्यार भरा तन मन लहराती।
प्रेम पताका दिल फहराती॥
प्यारे-प्यारे बच्चे होते।
नेह-प्रेम बन दिल में खोते॥
होती बातें प्यार के आँगन।
नहलाती वो दिलों तड़ागन॥
अंग-अंग घायल कर मेरे।
सजनीं मित्र प्यार को हेरे॥
हड़कावै दुलरावै मुझको।
प्रेम प्रीति समझावै मुझको॥
सुध-बुध खो बाँहों में सोती।
काश आज मेरी वो होती॥

भगवती प्रसाद मिश्र 'बेधड़क' - शाहजहाँपुर (उत्तर प्रदेश)

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