युद्ध और सफ़ेद फूल - कविता - मयंक मिश्र

सफ़ेद फूल! 
वही सफ़ेद फूल,
जो शांति का प्रतीक है;
सफ़ेद फूल तो आ गए!
लेकिन, उससे पहले; 
दुनिया में होनी थी शांति!
हुआ क्या?
युद्ध!
बुद्ध के बाद ही शांति होनी थी,
लेकिन,
हुआ कलिंग युद्ध! 
इसके बाद भी होनी थी शांति 
लेकिन,
होते रहे छोटे छोटे सशस्त्र संघर्ष!
और हम सीखे भी;
तो युद्धाभ्यास!
क्योंकि...
गणित में पढ़ने थे अहिंसा के समाकलन! 
लेकिन पढ़ा गया हिंसा का वृहत परवलय! 
और 
विज्ञान ने मुनाफ़ें की छत के नीचे
होता रहा हथियारों का सूत्रपात!
ऐसे में,
अब!
सभी को थामना होगा 
साहित्य और संस्कृति का हाथ! 
जिससे सब हो सके सफ़ेद फूल की तरह निश्छल!
और अद्वितीय!!

मयंक मिश्र - अजमेर (राजस्थान)

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